`विवाह की बढ़ती उम्र से जूझता युवा वर्ग, समाज की खामोशी पर सवालियाँ निशान !`

जनवरी 31, 2025 - 14:02
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`विवाह की बढ़ती उम्र से जूझता युवा वर्ग, समाज की खामोशी पर सवालियाँ निशान !`

एसपीटी न्यूज नर्मदापुरम संतराम निशरेले संपादक
*`विवाह की बढ़ती उम्र से जूझता युवा वर्ग, समाज की खामोशी पर सवालियाँ निशान !`

*उच्च शिक्षा एवं रोजगार के चलते बढती उम्र –* वैसे हम सब को भलीभांति ज्ञात है कि शिक्षा शुरू से ही मनुष्य के लिए एक मूल आवश्यकता रही है, इसके बदौलत ही हमें अपने जीवन को निखारने के नये आयाम मिलते है लेकिन पिछले दो दशक से इस आवश्यकता को उच्च शिक्षा एवं भरण-पोषण वाली डिग्री के तरफ बढ़ते अंधाधुंध प्रभाव को देखा जा सकता है। इस कारण से लगभग सभी लड़के- लड़कियों की उम्र 25 पार हो रही है, 25 के बाद 2-3 साल जॉब, बिजनेस करने के बाद शादी की बात का नम्बर लगता है। इसके चलते लड़के- लड़कियों की उम्र 30 के आसपास हो जाती है, इस समय तक रिश्ता हो गया तो ठीक नहीं तो इसके बाद लोगो का नजरिया बदल जाता है और अधिक उम्र के लड़के-लड़कियों से रिश्ता ज़माने में कई सबाल उठने लगते है।
*अरमानों और सपनो की चाहत –* हर परिवार अपने और अपनी लड़की की चाहत का ख्याल रखते हुए जीवन साथी की तलाश में जुटे होते है। बेटी के ससुराल में जीवन के विलासिता से जुडी सारी सुविधायें खोजते-खोजते लड़की की बढती उम्र का भान भी नहीं रहता। लड़के पक्ष की तगड़ी कमाई एवं सपने पूरे करने का हर समान का होना; जैसे शादी की मुख्य शर्त हो, कई बार उसके कौशल एवं संस्कार को परे रखकर हैसियत पर आकर बात अटक जाती है। परन्तु जिस चीज को हम लड़के में एवं उसके परिवार में खोजते फिरते है; क्या इस चीज के लिए अपना स्वयं का बेटा पूर्ण करने में समर्थ है या दूसरे की बेटी लाने के लिए यह शर्त पर हम स्वयं खरे उतरते है; आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। शायद ही कोई परिवार होगा जो आदिकाल से अमीर रहा हो, सभी अपने जीवन में संघर्ष करते हुए इस मुकाम तक पहुँचे है। जब हम एक अच्छा मुकाम तक पहुच गए है, संघर्ष से डरने की क्या बात! अपने कौशल से सभी अपने लक्ष्य तक पहुँचे है, इसके लिए हमें अपने बेटा-बेटी को तैयार करने की आवश्यकता है।
*एकांकीपन से हटकर मिडएटर बनना होगा –* उम्र का इस पड़ाव में आने के बाद न केवल लड़का-लड़की बल्कि उनके माता-पिता, भाई-बहिन, घर परिवार और सगे सम्बंधियो की चिंता बढ़ता है बल्कि सभी की तमाम कोशिशे भी असफल हो जाती है, यदि कभी इन कोशिशों से बात जम भी गई तो यह बात कहना मुश्किल है कि यह रिश्ता कितना सफल होगा। हम सभी जानते है कि शादी- विवाह के लिए किसी न किसी मिडएटर की जरुरत पड़ती है परन्तु इस उम्र में कोई मिडएटर की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। परन्तु रिश्ता ज़माने में मिडएटर का एक बहुत बड़ा योगदान होता है; इसलिए सभी को निःस्वार्थ यह दायित्व निभाने के लिए अवश्य आगे आना चाहिए। यदि हम किसी के लिए मिडएटर नहीं बनेंगे तो हमारे लिए कौन मिडएटर बनेगा? बड़ी उम्र में शादी न जुड़ने दशा में बगैर मिडएटर के कोई मेट्रोमोनी व बायोडाटा से सम्बन्ध होना मुश्किल ही होता है। 
*मिडएटर न होने से सामाजिकता से हटकर एकांतवास का शिकार होते जा रहे है युवा मन की उलझन –* इस उम्र में अपनी व्यथा सुनाने के लिए कहाँ जाए युवा मन? बस युवा अपने भाग्य के भरोसे अपने आपको ठगा सा महसूस करने लगता है। अपने उम्र के किसी लड़का या लड़की को अपने जीवन साथी के साथ देखकर उसके मन में अपने- आपके प्रति आपमान का महसूस करने लगता है। ऐसे समय में युवा मन आपनी आत्मग्लानी से परिपूर्ण होने लगता है, मन में अवसर का कडवा घूट पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
*समाज को आगे आना होगा –* हर वर्ग बेटा-बेटियों की शादी के लिए जूझते हुए देखा जा सकता है; हर परिवार किसी न किसी प्रकार से इस समस्या का सामना कर रहा है। लोग आज समाजसेवा के लिए व समाज में नाम कमाने के लिए लाखो रूपये खर्च करने से नहीं कतराते है लेकिन अवसाद यह है कि हर समाज में बढती उम्र में शादी के विषय में चर्चा करने के लिए समय ही नहीं है। “जिसका दोना ढरकेगा वही रुखा खायेगा” इससे समाज को क्या लेना-लेना। यह भावना बहुत चिंताजनक है। समाज की ऐसी सोच से समाज विकास संभव नहीं है उन्हें अपने दायित्वों से दूर न होकर इस और अपना ध्यान आकर्षण कर इस चिंता से निलकने के विषय में घोर चिंतन करने की आवश्यकता है। हो सकता है कि इस मुद्दे में बहुत से सामाजिक संस्थाओं ने काम किया भी होगा; परन्तु यह मिशन के रूप में सभी समाज में चलाने की आवश्यकता है जिससे इस मुद्दे का एक सकारात्मक समाधान नजर आयें। हम सब को एक मंच में आकर सकारात्मक सोच के साथ ऐसे लडको- लड़कियों व परिवार की सोच को बदलने हेतु सभी को मजबूत पहल के साथ लड़का- लड़कियों की यथासंभव रिश्ता करवाने का प्रयास करे। यह छोटी सी पहल एक बड़ी चिंता एवं चुनौती से मुक्त करने के लिए एक उज्वल कदम साबित हो सकता है। 
(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है) संतराम निशरेले नर्मदापुरम एमपी 

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SPT News प्रधान संपादक संतराम निषेरेले जिला अध्यक्ष पत्रकार कल्यांण महासंध नर्मदापुरम 9407268810