जनभागीदारी समिति की राशि को लगाया चूना, छात्र छात्राओं में आक्रोश
जनभागीदारी समिति की राशि को लगाया चूना, छात्र छात्राओं में आक्रोश

एसपीटी न्यूज़ संतराम निशरेले प्रधान संपादक
यह मामला नर्मदापुरम ज़िले के नर्मदा महाविद्यालय जो कि वर्तमान में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सिलेंस के नाम से जाना जा रहा है जहाँ पर जनभागीदारी समिति की राशि का उपयोग छात्रों के हित में नहीं किया गया है, जिससे छात्रों में आक्रोश है। यह एक गंभीर मामला है जिसमें कॉलेज प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं।
जनभागीदारी समिति की राशि के उपयोग पर सवाल उठने की खबरें लगते ही कॉलेज प्रबंधन में खलबली मच गई हैं सूत्रों की मानें तो कुछ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी बिल वाउचर सुधारने में लगे हुए हैं ताकि जाँच के दौरान उन्हें प्रस्तुत किए जा
कॉलेजों में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समिति बनायी गई है जिसके मुख्य उद्देश्य हैं ¹:
*संस्था के पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार*: आधुनिक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराना
- *छात्रों और शिक्षकों के लिए संसाधन*: पुस्तकें, तकनीकी पत्रिकाएं और कंप्यूटर सुविधाएं प्रदान करना
- *संस्था के भवनों और प्रयोगशालाओं का रखरखाव*: सुविधाओं को बनाए रखना जनभागीदारी समिति के कार्यों की देखरेख के लिए सामान्य परिषद, प्रबंध समिति और वित्त समिति का गठन किया जाता है। सामान्य परिषद की बैठक वर्ष में दो बार होती है और आवश्यकतानुसार विशेष बैठक भी बुलाई जा सकती है।
यह पूरा मामला तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर ON चौबे के कार्यकाल का है जहाँ पर कि बिना किसी निर्धारित फंड के लाखों रुपये का भुगतान किया गया है जो नियम विरुद्ध है जिसकी जाँच के लिए कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री , उच्च शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा कमिश्नर तक लिखित शिकायत की गई है यहाँ तक की इस बात के साक्ष्य लगभग 5 पेजों की शिकायत करता के पास सुरक्षित है जिससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि नियमों को ताक में रखकर जनभागीदारी समिति की राशि को रेवड़ी की तरह बाँट दिया गया है जिससे छात्र छात्राओं के विकास में कमी आयी है और यह कमी की ज़िम्मेदारी तत्कालीन प्राचार्य और जनभागीदारी समिति अध्यक्ष प्रतीत हो रहे हैं
बड़ा सवाल है
जब नर्मदा महाविद्यालय अर्थात प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस के पास प्रचार प्रसार के लिए फंड निरंक है और किसी भी समाचार पत्र या चैनल को रिलीज़ ऑर्डर नहीं दिए गए हैं फिर भी उनको भुगतान बढ़ चढ़कर क्यों किया गया इसमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है इतना ही नहीं कुछ संस्थान को तो नियम बहुत ही भुगतान कर दिया गया है जिसके सबूत मौजूद है प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया होर्डिंग वाल पेंटिंग आदि पर जमकर राशि ख़र्च कैसे की जा क्या किसी के दबाव में भुगतान किया जा रहा है या कुछ स्वार्थ है यह नियम का ध्यान नहीं है और यह तीनों बात ये बता रही है कि हुआ तो ग़लत है क्योंकि विभाग ख़ुद ले कर दे रहा है कि हमारे पास इन कामों के लिए कोई फंड नहीं है फिर भी भुगतान जारी है आख़िर क्यों और कैसे इस बात की शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर भी शिक्षा मंत्री तक पहुँच चुकी है
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