अब तो मान लेना चाहिए कि जिले में अफसरशाही जमकर हावी है, दर्जनों का तबादला जरूरी है
(एसपीटी न्यूज़ संतराम निशरेले प्रधान संपादक )
अधिकारियों की मनमानी से तंग आकर जिला पंचायत अध्यक्ष उपाध्यक्ष व सदस्यों को कमिश्नर कलेक्टर को देना पड़ रहा ज्ञापन
अब तो मान लेना चाहिए कि जिले में अफसरशाही जमकर हावी है, दर्जनों का तबादला जरूरी है
मजबूर होकर जिला पंचायत के जबावदारों को करना पड़ रहा सामान्य सम्मेलन का बहिस्कार, विकास कार्याें में अडंगा डाल रहे तथाकथित अफसर
ऐसे अधिकारियों को नर्मदांचल से बाहर का रास्ता दिखाना आवश्यक है, ग्रामीण सरकार के जनप्रतिनिधियों की समस्या है बहुत गंभीर
नर्मदापुरम।यह कोई साधारण बात नहीं है, जिला पंचायत की अध्यक्ष जिन्हें राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है इनके साथ ही उपाध्यक्ष व जिला पंचायत के सदस्यों को तंग आकर तथाकथित अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ तंग आकर ज्ञापन देने को मजबूर होना पड़ रहा है। शुक्रवार को जिला पंचायत की बैठक होना था। सभी सदस्यों ने आपस में तय करके कलेक्टर व कमिश्नर को अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ ज्ञापन देने का मन बनाया गया। इसके साथ ही बैठक् का बहिस्कार भी किया गया।
जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राधाबाई सुधीर पटेल एवं उपाध्यक्ष श्रीमती बुद्ध कुंवर बैंकर के अलावा जिला पंचायत सदस्य अजीत मंडलोई हाकम सिंह गुर्जर दौलत राम पटेल सीमा कासदे, मधु धुर्वे डा ज्योत्सना बृजकिशोर पटेल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती योजनगंधा समेत अन्य जिला पंचायत प्रतिनिधियों ने ज्ञापन दिया है।
जिसमें उल्लेख किया गया है किअधिकारियों की मनमानी एवं विकास कार्य नहीं होने के कारण जिला पंचायत सामान्य प्रशासन एवं सामान्य सम्मेलन की बैठक का बहिष्कार करने को मजबूर होना पड़ा है।
ग्रामीण क्षेत्र के जबावदार जनप्रतिनिधियों ने लिखा है कि नर्मदापुरम जिले के अधिकारियों की मनमानी के कारण क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं ढाई साल से जिला पंचायत सदस्य अपने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कर पाए हैं अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के आदेशों की भी अधिकारी अनदेखी करते है। जिला पंचायत सदस्य के क्षेत्र में विकास कार्यों के भूमि पूजन एवं उद्घाटन होते हैं उनकाे आमंत्रण तक नहीं दिया जाता है यह प्रोटोकाल का उल्लंघन है। जिला पंचायत के विभागों की समिति की बैठक नहीं ली जा रही है। जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक भी तीन से चार महीने में होती है जबकि प्रतिमाह सामान्य सभा की बैठक होनी चाहिए नर्मदापुरम जिला मप्र में एक ऐसा जिला है जहां योजना मंडल का गठन आज तक नहीं हुआ है जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक से जो प्रस्ताव पास होते हैं उनको जिला प्रशासन में नहीं भेजा जाना चाहिए जिला पंचायत स्वयं एक सदन है जिला पंचायत सदस्यों से एक वर्ष पहले प्रस्ताव लिये है उसकी राशि अभी तक प्राप्त नही हुई है। कलेक्टर व कमिश्नर से इन जनप्रतिनिधियों ने आग्रह है कि समस्त सदस्यों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाए।
शासन तक पहुंचेगी यह मांग
इन जनप्रतिनियों का कहना है कि यह मांग अभी मुख्यालय पर मौजूद जबावदार अधिकारियों तक पहुंचाई गई है। जिसके परिणाम सकारात्मक नहीं दिखते हैं तो फिर शासन स्तर तक मांग रखी जाएगी। कुछ जिला पंचायत सदस्य तो यहां तक कह रहे थे कि जब हमारे क्षेत्र में हमारी मांग के अनुसार जायज कार्य ही नहीं हो पाते हैं तो हमें स्तीफा देने का मन हो रहा है। यदि वास्तव में हमारी मांग नहीं मानी जाती है तो फिर हमें ही कुछ कदम उठाने पड़ेंगे।
जनप्रतिनिधियों ने दिखाई ताकत
प्राय: यह कहा जाता था कि जिला पंचायत की अध्यक्ष उपाध्यक्ष दोनों ही सीधी साधी महिलाएं अन्य सदस्य भी ज्यादा कुछ नहीं कह पाते हैं इसलिए अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं। लेकिन देर से ही सही जनप्रतिनिधियों ने अपनी ताकत दिखा दी है।
आपकी क्या प्रतिक्रिया है?