नर्मदा भक्तों के लिए ख़ुशख़बरी है पंचकोसी यात्रा में शामिल होकर कमाएं पुण्य लाभ

एसपीटी न्यूज नर्मदापुरम सन्तराम निशरेले प्रधान संपादक
श्री बांद्राभान सूरजकुण्ड पंचकोषी पदयात्रा बांद्राभान (नर्मदा दक्षिण तट) जिला नर्मदापुरम् (म.प्र.)"
पू. गुरुदेव रविन्द्र भारतीजी कृत नर्मदा पंचकोशी पदयात्रा, केन्द्रीय समिति, पुनासा एवं शैवप्रवासी सम्प्रदाय के तत्वावधान में दि. 08 से दि. 12 फरवरी, 2025 तक पंचकोशी पदयात्रा आयोजित की जाएगी ।
भीष्म एकादशी 08 फरवरी, 2025 शनिवार को दक्षिण बांद्राभान में रेवा-तवा संगम ओंकारध्वजापूजन पश्चात् यात्रा प्रारंभ होगी । श्री गजानन आश्रम में फलाहार भण्डारे के साथ प्रथम रात्रि विश्राम रहेगा ।
भीष्म द्वादशी 09 फरवरी, 2025 रविवार का रात्रि विश्राम ग्राम नांदनेर में रहेगा
10 फरवरी, 2025 सोमवार का रात्रि विश्राम ग्राम पनवाडी के मंदिर धर्मशाला रहेगा ।
11 फरवरी, 2025 मंगलवार का रात्रि विश्राम सूरजकुण्ड (दक्षिण तट) संत स्वामी श्री सत्यचैतन्यजी महाराज के आश्रम होगा ।
12 फरवरी, 2025 बुधवार प्रातः सूरज कुण्ड नर्मदा स्नान पश्चात् जयकारों के साथ प्रस्थान कर दक्षिण बांद्राभान में कढ़ावा भण्डारा श्री लालसिंहजी चवरेजी, निमसाडिया द्वारा दिया जाएगा। तत्पश्यात यात्रा का समापन होगा ।
इस यात्रा के प्रवर्तक ब्रह्मलीन पूज्य गुरुवर रवीन्द्र चौरे "भारती" रहे है । ॐ कारेश्वर की प्रथम यात्रा से सन 1975 में पंचकोशी यात्राओ की शुरूआत करने वाले नर्मदा पंचकोशी यात्राओ के जनक डॉ रवींद्र चौरे "भारती" ने अपने जीवनकाल मे 25 नर्मदा पंचकोशी यात्रा शुरू की थी और पंचकोशी यात्रा के दौरान ही पुनासा में ब्रह्मलीन हो गए ।
डॉ. चौरे ने इन स्थानों से शुरू की थी यात्राएं
■ नर्मदेश्वर पूर्णश्वर नर्मदा नगर पुनासा (जिला खंडवा)
■ सीतामाता जयंती माता सीतापीपरी बागली (देवास)
■ ममलेश्वर कुबेर भंडारी ओंकारेश्वर (जिला खंडवा)
■ ओकार मांधाता ओकारेश्वर (जिला खंडवा)
■ वाराहेश्वर बड़ा बड़ौदा बाकानेर (जिला धार)
■ कोटेश्वर महादेव राजघाट (जिला बड़वानी)
■ श्री नवग्रह खरगोन (जिला खरगोन)
■ नारद पांडव ढाणा (जिला होशंगाबाद)
■ श्री मां वागेश्वरी सगुर भगुर (जिला खरगोन)
■ नर्मदापुरम सेठानीवाट (जिला होशंगाबाद)
■ विष्णुपुर शिवपुर भीलाडियां (जिला होशंगाबाद)
■ सूरजकुंड बांद्राभान (जिलाहोशंगाबाद)
■ मनोकामनेश्वर चिचली (जिला खरगोन)
■ वेदेश्वरी कुंडेश्वरी दयालपुरा (जिला खरगोन)
■ सिद्धनाथ नाभि कुंड नेमावर (जिला देवास)
■ रिद्धनाध हंडिया (जिला हरदा)
■ कवेश्वर नर्मदेश्वर रणगांव (जिला खंडवा)
■ बाला मर्दाना कतरगांव (जिला खरगोन)
■ माहिष्मती महेश्वर (जिला खरगोन)
■ श्रीमार्कडेय गालव पिपरिया (जिला होशंगाबाद)
■ शाली वाहन नावड़ाटोड (जिला खरगोन)
■ गोदबलेश्वर गोदागांव (जिला हरदा)
■ मां विध्यवासिनी सलकनपुर (जिला सीहोर)
■ बिल्वामृतेश्वर धरमपुरी (धार)
■ शूलपाणेश्वर वासला राज पीपला (गुजरात)
डॉ. रवींद्र चौरे "भारती" उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक थे और यह एक सुखद संयोग है कि मध्य प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी के माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन में गुरु रहे हैं ।
आपका स्वर्गवास पंचकोशी यात्रा के दौरान ही पूर्णेश्वर महादेव मंदिर, पुनासा में हुआ था । आपकी स्मृति में नर्मदा भक्तों ने गुरूमन्दिर का निर्माण किया और आपके कार्यो को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से " गुरुदेव डॉ रविंद्र भारती चौरे कृत नर्मदा पंचकोशी पदयात्रा केंद्रीय समिति गुरु स्थान पुनासा" का गठन किया गया । वर्तमान में समिति इकत्तीस यात्राओं का संचालन करती है ।
डॉ चौरे कहते थे कि पद यात्रा में जितने स्थान देखे जा सकते है वह अन्य किसी भी साधन से मुश्किल होते है । पदयात्रा से स्वाथ्य सुधरता है और मन भी शांत होता है क्योंकि पैदल चलने में व्यक्ति सुकून के साथ चलता है । दुर्गम स्थानों पर अकेले चलना सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल होता है पर समूह में भजन कीर्तन करते हुए चलने से कठिनाई महसूस ही नही होती है । इसलिए पंचकोशी का धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व के साथ शारीरिक और मानसिक महत्व भी है । मानसिक व्यग्रता में भी पड़यात्रा मन को शांति प्रदान करती है । इसलिए प्राचीन काल से पदयात्रा का महत्व रहा है वो चाहे राम जी या पांडवो का वनवास हो या आदि गुरु शकराचार्य का भारत भ्रमण ।
नर्मदा नदी पहाड़ों जंगलों के बीच में बहती है और नदी के तट पर अनेक ऋषि मुनियों ने तपस्या की थी । इसी वजह से नर्मदा नदी के तट पर अनेक प्राचीन मंदिर एवं आश्रम बने हैं । नर्मदा जी विश्व की एकमात्र नदी है जिसकी बड़ी परिक्रमा होती है । गृहस्थ आश्रम में लंबी परिक्रमा करना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए डॉ रवींद्र चौरे " भारती" ने पच्चीस लघु पंचकोशी यात्राओं की शुरुआत की थी।
ख़ास विशेषताएँ
इस यात्रा में हर वर्ग, जाति और उम्र के लोगो की भागीदारी भागीदारी रहती है । यात्रा में पाया गया है की महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है । यात्री मार्ग में पढ़ने वाले समस्त मंदिरों, आश्रमों के दर्शन लाभ लेते हुए आरती भजन करते हुए और अलग-अलग स्थान पर पड़ाव डालते हैं ।मार्ग में स्थित शहरों के नागरिक और ग्रामीणजन भी सेवा में पीछे नहीं रहते और जगह-जगह चाय, पानी, अल्पहार और भोजन आदि का प्रबंध किया जाता है और विश्राम की व्यवस्था की जाती है । इस तरह पंचकोशी यात्रा अद्भुत अनुभूति प्रदान करने वाली होती है ।
यात्रा सरंक्षक पं. सुरेश चौबे ने यात्रीगण से दि. 07 फरवरी, 2025 शनिवार की संध्या तक होशंगाबाद से रिक्शा द्वारा दक्षिण तट बांद्राभान के श्री नर्मदा मंदिर आश्रम मे पहुँचे ।
यात्रा संयोजन एवं संचालन पंचकोषी पदयात्रा समिति के महंत विजयगिरीजी, संत सुमेर मुनीजी, संत अनुरागदाराजी, संत राजेश गिरीजी, शिवसिंहजी जाट देवीसिंह राजपूत,लखनलालजी चवरे (लाल साहब ) पं. बनवारीलालजी शर्मा (ध्वजवाहक ), रामअवतार सेन, मलैयाजी नर्मदा आदि है ।
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