जनता का पैसा पानी,साहब और ठेकेदारों की मनमानी।जिला आबकारी अधिकारी की कार्यशैली पर उठते सवाल...? का भाग दो
(एसपीटी न्यूज़नर्मदापुरम संतराम निसरेले प्रधानसंपादक)
29 जून 2024
*जनता का पैसा पानी,साहब और ठेकेदारों की मनमानी।*
*आबकारी विभाग के आशीर्वाद से शराब ठेकेदारों ने मचा रखी लूट*
*जिला आबकारी अधिकारी की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल...?*
भाग दो निरन्तर जारी रहेगा......
*शासन के नियमों को रखा ताक पर,अधिक मूल्य पर बेची जा रही मदिरा,*
*नर्मदापुरम* - लोकतंत्र में अगर कोई किसी को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है और जनता से लूट या बेमानी करता है तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है और दंड का प्रावधान है परंतु नर्मदापुरम में तो शराब ठेकेदार जनता को खुले आम लूट रहे हैं उनकी जेब पर डाका डाल रहे हैं वह भी जिला आबकारी विभाग और जिला प्रसाशन के संज्ञान में होने के बावजूद जबकि इस बात की लिखित शिकायत जिला आबकारी को की जा चुकी है उसके बावजूद किसी भी प्रकार की कारवाई ना होना समझ से परे है और यह है इस बात की ओर इशारा भी करता है कि आबकारी अधिकारी की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। इस विषय में तत्काल जिला प्रशासन एवं आबकारी विभाग के आला अधिकारियों को संज्ञान ले कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाना चाहिए।
नर्मदापुरम में मदिरा दुकानों से *MRP* रेट से भी काफी अधिक मूल्य पर शराब बेची जा रही है और ठेकेदार लाखों रुपए कमा रहा है और आबकारी अधिकारी अपनी आंख मूंद कर बैठे हैं या फिर उन्होंने जानबूझ कर ठेकेदार को इसकी रजामंदी दे रखी है।
नर्मदापुरम जिले में कुछ गिनी चुनी शराब दुकानों को छोड़ दिया जाए तो जिले की अन्य सभी मदिरा दुकानो पर शासन द्वारा तय किये गए अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक मूल्य पर बेची जा रही है और इस बात की जानकारी जिला आबकारी अधिकारी को भी है परंतु उन्होंने विगत लंबे समय से मौन साध रखा है और इस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहे हैं जिसके चलते जिला आबकारी अधिकारी की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं ?
*जबकि आबकारी नीति 2024-2025 की नियमावली के बिंदु 20 में न्यूनतम एवं अधिकतम विक्रय दरों का मुद्रण/अंकन एवं पालन की कण्डिका 20.2 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि निर्धारित न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) से कम मूल्य पर एवं निर्धारित अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) से अधिक मूल्य पर मदिरा का विक्रय किया जाना, गंभीर अनियमितता मानकर संबंधित मदिरा दुकान का स्वीकृत लायसेंस कम से कम एक दिन के लिये अथवा अधिकतम पांच दिन के लिये निलंबित किया जायेगा। दो से अधिक बार ऐसी अनियमितता पाये जाने पर उक्त मदिरा दुकान का लायसेंस वर्ष की शेष अवधि के लिये निरस्त किया जा सकेगा।*
*20.3 में यह भी जिक्र है कि वर्ष की शेष अवधि के लिये लायसेंस निरस्तीकरण की कार्यवाही के फलस्वरूप, यदि ऐसी मदिरा दुकान किसी समूह में सम्मिलित है, तो उक्त समूह की समस्त मदिरा दुकानों का लायसेंस भी वर्ष की शेष अवधि के लिये निरस्त किया जायेगा ।*
*यहां सवाल यह है कि आबकारी अधिकारी की मौन स्वीकृति कहें या कुछ और ? शराब ठेकेदारों को लोकतंत्र में जनता को लूटने का अधिकार किसने दिया अगर यही अपराध कोई व्यक्ति विशेष या फर्म करती है तो प्रशासन द्वारा उसके विरुद्ध कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाती है फिर यहां नियमों की अनदेखी क्यों क्या जनता का पैसा, पैसा नहीं उनके जेब पर डाका कोई भी डाल सकता है।*
संभाग और जिला मुख्यालय होने के बावजूद जिले की शराब दुकानों ठेकेदार द्वारा खुले रूप से शासन के नियमों को ताक पर रख *MRP* से अधिक मूल्य पर शराब का बेचा जाना जिला आबकारी विभाग की मिलीभगत की ओर इशारा करता है या विभाग जानबूझकर कार्यवाही नहीं करना चाहता।
जब प्रभातटाइम्स की टीम ने मामले की जानकारी मध्यप्रदेश आबकारी डिप्टी कमिश्नर यशवंत धनोरा के संज्ञान में लाये तो -
*इनका कहना है*
*यह तो गंभीर नियमितता है अगर जिला आबकारी अधिकारी इसकी अनदेखी कर रहें हैं तो हम इसकी जांच उच्च स्तर पर टीम गठित कर जांच करवाएंगे और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करेंगे।*
यशवंत धनोरा डिप्टी कमिश्नर आबकारी मध्यप्रदेश।
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