MGM कॉलेज इटारसी में अनोखे तरीके से बिल पास कर किया लाखो का फ़र्ज़ीवाड़े .भाग 3
एक्सक्लूसिव: एमजीएम कॉलेज इटारसी में लाखों के बिलों के भुगतान में गंभीर अनियमितता, प्राचार्य की अनदेखी और लिपिकों की मनमानी का आरोप
एसपीटी न्यूज़ संतराम निसरेले प्रधान संपादक
इटारसी (नर्मदापुरम)। महात्मा गांधी (एमजीएम) पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, इटारसी में लाखों रुपये के बिलों के भुगतान और सत्यापन में नियमों की घोर अनदेखी किए जाने का एक गंभीर मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार अंतर्गत प्राप्त जानकारी के अनुसार, कॉलेज प्रबंधन पर कई बड़े बड़े वित्तीय लेन-देनों से जुड़े बिलों का सत्यापन बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए किया गया, जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग की किए जाने की संभावना है
क्या है पूरा मामला?
सूचना के अधिकार अंतर्गत प्राप्त जानकारी के जो दस्तावेज़ इस बता रहे हैं कि एम यादव नामक कर्मचारी के द्वारा बिना देखे समझे बैट बिल को सत्यापन किया गया है जबकि बिलों में कई कमियां मौजूद है इसके बावजूद बिल को आँख बंद करके सत्यापित किया गया है जिससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा है कि या तो प्राचार्य की मिलीभगत है या प्राचार्य का संरक्षण है या वित्तीय लालचकि मन सा है जिसके चलते सारे नियम क़ानून ताक में रखकर बिलों का भुगतान कर जेब भर ली गई है इस बात की सूचना जिला कलेक्टर के अलावा उच्च शिक्षा विभाग को भी की गई है कि MGM कॉलेज में बड़े स्तर पर जाँच स्थापित की जाए जिससे कि सरकारी धन का दुरुपयोग रोका जा सके और जिन लोगों या जिन अधिकारी कर्मचारियों के माध्यम से धन का दुरुपयोग किया गया है उसकी वसूली के साथ हीक़ानूनी कार्रवाई की जाएसाथ ही आँख बंद करके बिलों के सत्यापन करने वाले कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और दिलों पर किए गए भुगतान की उनके वेतन से वसूली की जाए
कॉलेज परिसर में विभिन्न मदों, जैसे निर्माण कार्य, मरम्मत, उपकरणों की खरीद, या अन्य सेवाओं के लिए जारी किए गए लाखों रुपये के बिलों के भुगतान में पारदर्शिता की कमी पाई गई है। और वित्तीय नियमों के तहत बिलों के भुगतान से पहले जो अनिवार्य जाँच और सत्यापन प्रक्रियाएं होती हैं, उन्हें ताक पर रख दिया गया।
प्राप्त दस्तावेजों का कहना है कि:
• प्राचार्य की अनदेखी: कॉलेज के प्राचार्य पर सीधे तौर पर वित्तीय प्रबंधन में लापरवाही बरतने और महत्वपूर्ण बिलों के सत्यापन की ओर जानबूझकर आँखें मूंदने का आरोप है। नियमों के अनुसार, प्राचार्य की वित्तीय स्वीकृति और कठोर सत्यापन के बिना बड़े भुगतानों को मंजूरी नहीं दी जा सकती।
• लिपिकों की मनमानी: यह भी कहा जा रहा है कि कॉलेज के लिपिकों (Clerks) और अकाउंट विभाग के कर्मचारियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और नियमों को दरकिनार करते हुए जल्दबाजी में या अवैध तरीके से बिलों का सत्यापन किया, जिससे भुगतान की प्रक्रिया आसान हो गई।
नियमों का उल्लंघन!
सामान्य तौर पर, लाखों रुपये के सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्थान के बिलों के भुगतान से पहले टेंडरिंग प्रक्रिया, कार्य या सामग्री की गुणवत्ता जाँच, और आंतरिक ऑडिट की आवश्यकता होती है। जबकि एमजीएम कॉलेज में इन प्रक्रियाओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिससे फर्जी या ओवर-बिल्ड (Over-billed) भुगतानों की गुंजाइश बनी।
प्रशासनिक जाँच की मांग
यह गंभीर मामला सामने आने के बाद अब स्थानीय छात्रों और शिक्षाविदों द्वारा जिला प्रशासन (कलेक्टर) और उच्च शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। उन्होंने मांग की है कि:
पिछले दस वर्ष के सभी बड़े भुगतानों के बिलों का उच्च स्तरीय ऑडिट कराया जाए।
इस मामले में जिम्मेदार प्राचार्य और संबंधित लिपिकों की भूमिका की निष्पक्ष जाँच की जाए।
जवाबदेही तय कर दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाए।
निरन्तर एमजीएम के फ़र्ज़ीवाड़े से संबंधित कारनामे पढ़ते रहे
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