आईटीआई प्राचार्य की लापरवाही या साझेदारी ??
आईटीआई प्राचार्य की लापरवाही या साझेदारी ??
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प्राचार्य सतीष मोरे के चहेते अनिल देषमुख तीन महिनों से सरकारी रिकार्ड ले गये अपने घर प्राचार्य ने नही की कोई कार्यवाही,
(एसपीटी न्यूज संतराम निषरेले प्रधान संपादक
नर्मदापुरम संभागीय आईटीआई में अनेको अनिमिताओं के चलते यहा के अधिकारी कर्मचारियों न तो कोई वरिष्ट अधिकारियों के आदेष का कोई पालन कर रहेें है न इस ओर कोई आला अधिकारी ध्यान दे रहेें है । इसलिये यहॉ कोडरी मारकर बैठे प्राचार्य को कुछ भी अनिमित्ताऐं और फर्जीवाडे दिखाई नही दे रही है । इसका असली कारण यह है कि जब विभाग प्रमुख प्राचार्य ही अपडाउन में पूरा समय व्यतीत कर देगे तो आई टी आई में क्या हो रहा है वह उन्हें क्यों दिखाई देगा । और वह नही चाहते कि विभाग के किसी कर्मचारी/अधिकारी से बुराई हों यदि ऐसा होगा तो उनके अपडाउन और आई टी आई से बिना बताये गायव रहने की पोल खुल सकती है । इसलिये जो जैसा चल रहा है वह सब ठीक है
अवकाश पर गये अनिल देषमुख ले गये कार्यालय का रिकार्ड घर आखिर क्यों - इस प्रकार की अनिमित्ताओं को क्या कहें कि दिनॉक 28 अगस्त 2024 से निरंतर आज दिनॉक तक अवकाश पर चल रहें अनिल देशमुख प्रषिक्षण अधिकारी वेल्डर ट्रेड ने सरकारीदस्तावेज अपने घर ले गये है और प्राचार्य ने आज तक कोई उचित कार्यवाही नही की । इससे साफ जाहिर हो रहा है कि यह प्राचार्य और अनिल देषमुख की मिली भगत है । क्योंकि वेल्डर ट्रेड में रॉ मटेरियल खरीदी के नाम पर लाखों का फर्जीवाडा किया गया है बतादे कि पूर्व के अंक में भी वेल्डर टेªड में रॉ मटेरियल के नाम पर दुकानदार से बिल मात्र लिया गया था और प्राचार्य की मिली भगत से उस फर्जीबिल का भुगतान भी कर दिया गया । न तो खरीदा गया रॉ मटेरियल का मिलान किया गया न स्टोर ष्षाखा रॉ मटेरियल का स्क्रेेप जमा किया गया । इससे साफ जाहिर हो रहा है कि प्राचार्य सतीष मोरे के चहेते श्री देषमुख को जानबूझ कर अवकाष पर रखा गया है । और रिकार्ड गायव करा दिया गया है ।
प्राचार्य के लिखे पत्र में भी दिखरहाहै अनिल देशमुख के लिए अपनापन???
खानापूर्ति और अपनी कलम को बचाने के लिये दिनॉक 20 नवंबर 2024 को कार्यालय ष्औप्रसं/नर्म.पुरम/स्था/सूअअ./05/2024 के माध्यम से ज्ञातहुआ है कि अनिल देषमुख प्रषिक्षण अधिकारी 28 अगस्त 2024 से अवकाष पर है ं क्योंकि संतराम निषरेले द्वारा वेल्डर ट्रेड की कुछ जानकारी चाही गई है । जिसमें लाखों का फर्जीवाडा है । जानकारी न देनापडे इसके चलते लोक सूचना अधिकारी द्वारा उपरोक्त क्रमांक का पत्र आवेदक को लिखा है । लेकिन इस पत्र में सबसे बडा संदेह यह है कि जिस विभाग से और जिस अधिकारी से जानकारी लेना है जिसकी जिम्मेदारी में चाही गई जानकारी रखी है । उसे उसकी न तो कोई प्रतिलिपि दी है न सूचना । आखिर इस प्रकार का ष्षासकीय पत्र प्राचार्य ने क्यों लिखा । यह संदेह का विषय तो है ही पर जॉच का विषय भी है । जब प्रतिलिपि संयुक्त संचालक ,कौषल विकास क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल को दी तो वेल्डर टेªड के प्रषिक्षण अधिकारी अनिल देषमुख को क्यों नही दी । निष्चित प्राचार्य और देषमुख की मिली भगत का खेल है इस बात की सूक्ष्मता से जॉच होना चाहिये । ताकि भ्रष्टअधिकारी और लापरवाही के साथ मिली भगत का खेल बंद हो सकें । और अपने सपने लेकर आ रहें प्रषिक्षणार्थीओं के जीवन के साथ ऑख मिचोली का खेल न खेला जाऐ ।
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