अपराध के दलदल मे धसे मानवों को ज्ञानदृष्टि द्वारा उत्थान संभव!
अपराध के दलदल मे धसे मानवों को ज्ञानदृष्टि द्वारा उत्थान संभव!
एसपीटी न्यूज़ नर्मदापुरम
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान शाखा भैरुंदा द्वारा केंद्रीय कारागार नर्मदापुरम
खंड (ब) मे *बंदी आत्म उत्थान ध्यान शिविर* कार्यक्रम दिनांक 03-05 नवंबर 2025 मे स्वामी श्री आशानंद जी ने तीन दिवसीय भजन-सत्संग के माध्यम से स्वामी जी ने कैदियों को प्रायश्चित करवाते हुए सत्संग के माध्यम से बताया कि जीवन बहुत दुर्लभता से प्राप्त हुआ है । इस जीवन को किसी महापुरुष के सानिध्य मे रहकर जिया जाए तो जीवन अमृत मय हो जाता है । महापुरुषों का सानिध्य प्राप्त किए बिना शांति और प्रसन्नता असंभव है । जो
व्यक्ति मनमुखी होकर जीवन जीता है, उसके जीवन का पतन हो जाता है और इसीलिए कहा गया है कि- "मन के मते न चलिए, मन पक्का यमदूत! ले डूबे दरिया मे, जाये हाथ से छूट!!"
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं कि - "मनुष्य जन्म से अपराधी नहीं होता, परिस्थितियां और संगती इंसान को अपराधी बना देती है और इंसान सलाखों के पीछे कलंकित जीवन जीता है", इसलिए अच्छे लोगों की संगती करना चाहिए, अच्छे विचारों को सुनना चाहिए,मनुष्य जैसा सुनता है वैसा रास्ता चुनता है ।
सैकड़ो कैदियों ने भजन सत्संग के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की एवं 40 कैदी भाइयों ने ब्रह्मज्ञान की दीक्षा द्वारा आत्मा ज्योति का साक्षात्कार कर आनंद को प्राप्त किया एवं रत्नाकर डाकू से ऋषि वाल्मीकि तक की यात्रा करने का संकल्प लिया, अंगुलीमाल डाकू से संत अंगुलीमाल तक सफऱ तय करने का प्रण लिया।
कार्यक्रम मे जेल अधीक्षक श्संतोष सोलंकी एवं उप जेल अधीक्षक शर्मा सहायक जेल अधीक्षक ऋतुराज सिंह दांगी
एवं समस्त जेल स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा।
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